ad

Wednesday, August 1, 2018

पीठ को सीधा रखकर बैठें

शरीर के Rest of inner Body में होने का खास महत्व है। इसके कई पहलू हैं। फिलहाल हम इसके सिर्फ एक पहलू पर विचार कर रहे हैं। शरीर के ज्यादातर महत्वपूर्ण भीतरी अंग छाती और पेट के हिस्से में होते हैं। ये सारे अंग न तो सख्त या कड़े होते हैं और न ही ये नट या बोल्ट से किसी एक जगह पर स्थिर किए गए हैं। ये सारे अंग ढीले-ढाले और एक जाली के अंदर झूल रहे से होते हैं। इन अंगों को सबसे ज्यादा आराम तभी मिल सकता है, जब आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की आदत डालें।
पीठ को सीधा रखें
आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। लेकिन इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता।
पीठ को सीधा रखें
आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। लेकिन इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता।

इस स्थिति में, शारीरिक अंग उतने ठीक ढंग से काम नहीं कर पाते जितना उनको करना चाहिए - खासकर जब आप भरपेट खाना खाने के बाद आरामकुर्सी पर बैठ जाएं। आजकल काफी यात्राएं आराम कुर्सी में होती हैं। अगर आप कार की आरामदायक सीट पर बैठकर एक हजार किलोमीटर की यात्रा करते हैं, तो आप अपने जीवन के कम-से-कम तीन से पांच माह खो देते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लगातार ऐसी मुद्रा में बैठे रहने की वजह से आपके अंगों पर इतना बुरा असर होता है कि उनके काम करने की शक्ति में नाटकीय ढंग से कमी आ जाती है या फि र वे बहुत कमजोर हो जाते हैं।
शरीर को सीधा रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि हमें आराम पसंद नहीं है, बल्कि इसकी सीधी सी वजह यह है कि हम आराम को बिल्कुल अलग ढंग से समझते और महसूस करते हैं। आप अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए भी अपनी मांसपेशियों को आराम में रहने की आदत डाल सकते हैं। लेकिन इसके विपरीत, जब आपकी मांसपेशियां झुकीं हों, तो आप अपने अंगों को आराम में नहीं रख सकते। आराम देने का कोई और तरीका नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने शरीर को इस तरह तैयार करें कि रीढ़ को सीधा रखते हुए हमारे शरीर का ढांचा और स्नायुतंत्र आराम की स्थिति में बने रहें।

Health tip 5. पंच तत्वों से जुड़कर जीवन जीयें

हम कुछ लोगों को बता रहे थे कि हमारे योग केंद्र में एक योगिक अस्पताल है, तो अमेरिका से कुछ डॉक्टर इसे देखना चाहते थे और वे हमारे यहां आए। वे एक हफ्ते यहां थे और एक हफ्ते के बाद वे मुझसे बहुत नाराज़ थे। मैंने कहा – “क्यों, मैंने क्या किया? वे चारों तरफ यही बातें कर रहे थे – “ये सब फ़ालतू बकवास है! सद्गुरु ने कहा यहां एक योगिक अस्पताल! कहां है योगिक अस्पताल? हमें कोई बिस्तर नहीं दिख रहे हैं, हमें कुछ नहीं दिख रहा”। फिर मुझे समझ आया कि उनकी समस्या क्या है, फिर मैंने उन्हें बुलाया और मैंने कहा – “परेशानी क्या है” उनमें से एक महिला, जिनकी आँखों में आंसू थे, बोलीं – मैं यहां इतने विश्वास के साथ आई और यहां धोखा हो रहा है, यहां कोई अस्पताल नहीं है, बिल्कुल भी कुछ नहीं यहां और आप बोल रहे हैं कि यहां अस्पताल है। मैंने कहा – “आराम से बैठिये। आपके अस्पताल के बारे में ये विचार हैं कि – बहुत से बिस्तर हों जहां मरीजों को सुला दो और उन्हें दवाइयां देते रहो – ये अस्पताल ऐसा नहीं है। मैं आपको आस-पास घुमाता हूँ – सभी मरीज़ यहां बगीचे में काम कर रहे हैं, और रसोई घर में काम कर रहे हैं। हम उनसे काम करवाते हैं, और वे ठीक हो जाते हैं।
तो, सबसे महत्वपूर्ण चीज़ ये है कि अगर कोई बीमार हो तो हम उनसे बगीचे में काम करवाते हैं। उन्हें खाली हाथों धरती के संपर्क में कम से कम आधे घंटे से लेकर 45 मिनट तक जरुर होना होता है। ऐसा करने से वे स्वस्थ हो जाते हैं। क्योकि आप जिस चीज़ को शरीर कहते हैं वो बस इस धरती का एक टुकडा है, है न? हां या ना? वे सभी अनगिनत लोग जो इस धरती पर चले, वे सब कहां गए? सब धरती की उपरी सतह पर हैं, है न? ये शरीर भी धरती की सतह पर चला जाएगा – जब तक कि आपके दोस्त - इस डर से कि आप फिर से न जाग जाएं - आपको बहुत गहरा न दफना दें। तो, यह बस धरती का एक टुकड़ा है। तो यह अपने सर्वोत्तम रूप में तब रहेगा, जब आप धरती से थोडा संपर्क बनाकर रखें। फिलहाल आप हर वक़्त सूट और बूट पहन कर पचासवें फ्लोर पर चलते रहते हैं, और कभी भी धरती के संपर्क में नहीं आते। ऐसे में आपका शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार होना स्वाभाविक है। फिर मैंने उन्हें दिखाया – “देखो इस व्यक्ति को दिल का रोग है, उस व्यक्ति को वो बीमारी है। मैंने सभी मरीजों से उनका परिचय कराया और फिर मरीज़ अपनी बातें बताने लगे – “तीन हफ्ते पहले हम ऐसे थे, और अब हमें बहुत अच्छा लग रहा है, हम अपनी बीमारी ही भूल गए हैं।” और अब सभी मेडिकल मापदंड भी कह रहे हैं कि वे ठीक हैं। अमेरिकी डॉक्टर को यह विश्वास दिलाने में कि ये लोग सच में मरीज़ हैं हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी। हम उन्हें अच्छे काम में भी लगा रहे हैं।
PHYSIO CARE CLINIC, Vikas Nagar ,Gorakhpur- https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=5821844633812750708#allposts 

No comments:

Post a Comment